Saturday, March 27, 2021

नारी नहीं बेचारी



नारी है नहीं बेचारी,ना समझो हमें लाचारी ‌
 सुख की हैं अधिकारी,ना समझो हमको भारी।

जन्म लेते मत फेंको हमको,हमें भी हक जीने का।
हमको भी तुम दूध पिलाओ,जहर नहीं पीने का।
समानता की अधिकारी,ना समझो हमें लाचारी।

नारी ने नर को जन्म दिया है, नारी ने है पाला।
नारी का सम्मान न करते,ना बनते हो रखवाला।
क्यों लगती तुझको भारी,ना समझो हमें लाचारी।

नारी है ममता की मूरत और नारी ही है माया‌‌
नारी ने निर्माण किया है,वीर पुरुष की काया।
नारी ही है मां प्यारी,ना समझो हमें लाचारी।

नारी घरनी, नारी भरनी, नारी है दुःख हरनी।
नारी जग की अनमोल रतन, नारी है सुख करनी।
तुम पर हैं बलिहारी ,  ना समझो हमें लाचारी।

नारी की महिमा का कोई,पार नहीं पा सकता।
बिन नारी के कोई नर,आधार नहीं पा सकता।
ईश्वर की हैं रचना प्यारी,ना समझो हमें लाचारी।

हर जगह पुरुषों से नारी,कदम बढ़ाकर चलती।
दुख-परेशानी-बाधाओं को,पीछे छोड़ निकलती।
ना हारी थी,ना है हारी,ना समझो हमें लाचारी।
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
              स्वरचित, मौलिक

No comments:

Post a Comment