Saturday, February 10, 2024

प्रथम देव का पूजन कर लो

प्रथम देव का पूजन कर लो

मन-मंदिर में स्थापित करो,
  उनको प्रथम देव के रूप में।
        सारी सृष्टि से भी बढ़कर,
          है स्नेह जिनके स्वरूप में।

नमन करो माता-पिता को,
   जिनके चरणों में चारों धाम।
       जुगल कर-कमलों को जोड़,
          प्रेम -भाव से कर लो प्रणाम।

चरण-रज का तिलक लगा लो,
    सादर- सप्रेम झुका लो शीश।
       अभिनंदन कर स्नेह आदर से,
         आ पा लो प्यार भरा आशीष।

माता-पिता से ही हैं हम पाये,
   सम्पूर्ण जगत में देख पहचान।
       माता पिता के कारण ही तो,
          मिलता सभी जगह सम्मान।

पाल-पोष कर माता पिता ने,
    हमको बनाया है तेजस्वान ।
       पढ़ा-लिखा कर आज हमको,
         बनाया है जगती में गुणवान।

वात्सल्य का अमृत पान करा,
    तन- मन हमारा तृप्त किया।
      सेवा,त्याग औ समर्पण कर,
        जीवन यह है  झंकृत किया।

                सुजाता प्रिय 'समृद्धि'