Wednesday, March 17, 2021

यशोधरा का संदेश



सुन कबू्तर, जा तू उड़कर,
              दे संदेशा साजन को।
मन है व्याकूल, विरह में आकुल,
        चैन न चंचल चितवन को।

मन में मेरे, है चिंता घेरे,
             कैसे इसको समझाऊं।
ना यह माने,ना कुछ जाने,
          किन बातों को बतलाऊं।

रात अंधेरी,घटा घनेरी,
             सोते हमको छोड़ गए।
संग में लेटा, राहुल बेटा,
          उससे भी मुख मोड़ गए।

जागी रैना,भींगे नयना,
           हमें छोड़ क्यों मीत गए।
कहना राजा, वापस आजा,
          बहुत दिवस हैं बीत गए।

पाएंगे सिद्धि, बहुत प्रसिद्धि,
             मन में है विश्वास बहुत।
वैभव के सुख, से हो विमुख,
             इससे मन उदास बहुत।

कहना साजन, आजा आंगन,।   
                 बिन तेरे घर सूना है।
बीता सावन,मन का भावन,
                 बीता एक महीना है।

अगर लौटकर, लाया ना घर,
                तो मैं तुझको तेजूंगी।
देख यहां पर,बैठा है अपर,
             इसको फिर मैं भेजूंगी।

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
            स्वरचित, मौलिक

1 comment:

  1. यशोधरा उवाच ऐसा लग रहा कि सच ही यशोधरा सिद्धार्थ से ये सब कह रहीं ... सुन्दर प्रस्तुति

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