चल आज सखी खेलें होली, मिल-जुलकर।
सब मिलकर आज खेलें होली मिल-जुलकर।
सद्भावों के पहनकर गहने।
प्रेम भाव का चुनर पहने।
मिल्लत की पहनकर चोली, मिल-जुलकर।
मिल-जुलकर आज..........
प्यार के रंग से भर पिचकारी।
सराबोर कर दुनिया सारी।
एकरूपता की बना टोली, मिल-जुलकर।
मिल-जुलकर आज..............
सुविचारों के गुलाल लगाएं।
सद्व्यवहार से गांव सजाएं।
बोल मधुर-मीठी बोली, मिल-जुलकर।
मिल-जुलकर आज...........
प्रीत से हो यह जग रंगीला।
भाव सुनहरा , नीला-पीला।
खुशियों से भर लें झोली, मिल-जुलकर।
मिल-जुलकर आज............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
होली का सुंदर संदेश देती लाज़बाब सृजन सखी,सादर नमन
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सखी।
ReplyDelete