Sunday, March 7, 2021

नारी चेतना (महिला दिवस पर सभी नारियों को समर्पित)







आगत युग में नारियों को 
अपना रूप बदलना होगा।
अपने सुंदर मुखड़े पर ,
अलग मुखौटा रखना होगा।

जगह-जगह पर गिद्ध खड़े हैं,
नयन उठाकर देखो।
नोच -खसोट खाने को आतुर,
जिधर भी नजरें फेंको।
उनको मार भगाने हमको,
तुरंत सम्हालना होगा।

बहुत बनी हम सील-अहिल्या,
बनी द्रौपदी -सीता।
बहुत बनीं हम सुंदर-सुकोमल,
सुहृदया-सुपुनीता।
सती अनुसुइया के पथ पर,
अब हमको चलना होगा।

इस मुखड़े पर दृढ़ता के ,
छलकाने होंगे पानी।
हम वीरांगना बनकर रच दें,
वीरता की अलग कहानी।
रणचंडी बन असुरों को,
तुरंत कुचलना होगा।
 
  सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
      रांची, झारखण्ड
    स्वरचित, मौलिक

4 comments:

  1. इस मुखड़े पर दृढ़ता के ,
    छलकाने होंगे पानी।
    हम वीरांगना बनकर रच दें,
    वीरता की अलग कहानी।
    रणचंडी बन असुरों को,
    तुरंत कुचलना होगा।
    बहुत सुब्द्र सखी | यही सब कर एक नारी सशक्त नारी कहला सकती है |महिला दिवस की बधाई और शुभकामनाएं|

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    1. सादर आभार। महिला दिवस पर सशक्त महिला को हार्दिक बधाई।

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  2. वीर रस से सराबोर स्त्री उत्थान पर लिखी अनुपम कृति..महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..

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    1. हार्दिक धन्यवाद सखी

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