Friday, September 29, 2023

पिता से अमीर (मनहरण घनाक्षरी)

पिता से अमीर

मिले पिताजी का प्यार,
पल में करें दुलार,
जगत में कोई नहीं,
पिता से अमीर है।

पिताजी से ही गांँव है,
पिता सुख की छांव है,
पिता जैसे जीवन की,
बहता समीर है।

पिता  सुबह - शाम है,
पिताजी को प्रणाम है,
दिखाते हर दिशा की,
पिता ही लकीर है।
 
पिता दिखाते राह हैं,
मन में जो भी चाह है,
साथ देने बालकों को,
मन से अधीर हैं।
 
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

उम्मीद (मनहरण घनाक्षरी)



उम्मीद (मनहरण घनाक्षरी)

मिले नहीं सफलता, मिल कभी विफलता,
निराशा पास आये तो,मन से निकालिए।

दुखी परेशान मन,विचलित हो अगर,
उम्मीद रख टाल दें,मन को संभालिए।
 
उम्मीद से बड़ा नहीं, सहारा है कोई कहीं
मनोबल रखें सदा, उम्मीद मत टालिए।

उम्मीद का आसमान,झुके नहीं बात मान,
पूर्ण होगा मनोरथ, उम्मीद तो पालिए।

   सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, September 26, 2023

मरणोपरांत (लघुकथा)

मरणोपरांत

छोटी भाभी को उलाहने और फटकार लगाने वाली अम्मा उनके द्बारा बनाए गए सजावट के सामानों को मुहल्ले की औरतों को दिखा रही थी।उनकी कलाकारी को देख सभी ने दाँतों तले अंँगुली दवा ली। शोकेस में करीने से रखें पेंटिंग्स को देख सभी हतप्रभ रह गई। कहा -"कसीदाकारी के ऐसे नमूने नहीं देखे।"
       रसोई में रखें अचार मुरब्बे को दिखाते हुए माँ ने कहा- "उसके जैसा स्वादिष्ट भोजन मेरे घर में कोई नहीं बना सकती।"
ईर्ष्या के भाव त्याग कर बड़ी भाभी ने कहा -"सचमुच उसे नमक-मसाले डालने का बड़ा अंदाज था।सभी चीजें संतुलित मात्रा में डालती थी। जितना सुंदर चेहरा था उससे भी ज्यादा सुंदर उसका दिल था।"
     सदा द्वेषपूर्ण व्यवहार करने वाली अमीशा की नजरें माला पहनी छोटी भाभी की तस्वीर पर जा टिकी। उनके खूबसूरत चेहरे पर स्निग्ध मुस्कान बिखरा था।जैसे कह रही हो -काश ! इतनी बड़ाई और सद्व्यवहार मुझे जीवन में मिले होते ?
              सुजाता प्रिय समृद्धि

श्याम संग खेलें होली (जलहरण घनाक्षरी)

श्याम संग खेलें होली
जलहरण घनाक्षरी,अंत में दो गुरु 

श्याम संग खेलें होली।
राधा सखियों से बोली।
आयी सभी हमजोली।
बनी सभी अति भोली।

रंग लाल - लाल डालो।
रंग पीला- पीला डालो।
मिला अंग में लगा लो।
कर लें संग में ठिठोली।

लगा कान्हा को गुलाल।
रंग  ललाट  व     गाल।
किया मुखड़े  को लाल।
आयी सखियों की टोली।

आयी कन्हैया की बारी।
भर  ली यों  पिचकारी।
कान्हा ने जो रंग डारी।
भींगी राधिका की चोली।

 सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

रेल बाल गीत

बन जाएंँ हम सब मिलकर रेल

आओ सब मिलकर खेलें खेल।
बन जाएँ हम सब मिलकर रेल।

लाल रंग का देखो है इंजन मेरा।
डब्बे बनकर हम लगा रहे फेरा।

हाथों से हम हैं डब्बों को जोड़ें।
एक -दूजे का हम साथ न छोड़ें।

पाँव चल रहा है पहिया बनकर।
पटरी पर चलता  दौड़ लगाकर।

छुक-छुक,छुक हम करते जाएँ।
दिल्ली -मुम्बई घुमकर आ जाएँ।

टिकट-विकट का काम नहीं है।
पैसे- कौड़ी भी का नाम नहीं है।

ऊं ऊं ऊं कर सीटियांँ भी बजाएँ।
स्टेशन आया हमसब रुक जाएँ।

   सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, September 25, 2023

हिन्दी हमारी पहचान है (मुक्तक)

हिन्दी हमारी पहचान है

हिन्दी हमारी शान है।
हिन्दी हमारा आन है।
हिन्दी सभी अपनाइए -
हिन्दी सदा पहचान है।

हिन्दी यहाँ अभिमान है।
हिन्दी में बसे प्राण है।
हिन्दी ने किया देश का -
सम्पूर्ण जग उत्थान है।

हिन्दी से  स्वाभिमान है।
भगवान का वरदान है।
हिन्दी बोलिए  प्रेम से-
हिन्दी से हिन्दुस्तान है।

 सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Saturday, September 23, 2023

राष्ट्र भाषा बने हिन्दी (गीतिका छंद)

राष्ट्र भाषा बने- हिन्दी (गीतिका छंद)

राष्ट्र भाषा बने- हिन्दी,करिए सब मिल कामना।
राष्ट्र गौरव को बढ़ाएं,मन में रखिए भावना।।
वार्ता करने किसी से,जब भी मुख को खोलिए।
नि:संकोच हो प्रत्येक जन से, हिंदी बोली बोलिए।।

हिंद की प्यारी है भाषा,इस पर हमें अभिमान है।
यह हमारी शान है और यही बनी पहचान है।।
मानिए यह सुगम भाषा,ईश का वरदान है।
उच्चारण इसके सुगम है, बोलना आसान है।।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, September 19, 2023

गणेश वंदना (विधाता छंद )

गणेश वंदना (विधाता छंद)

गजानन जी पधारो तुम,मुझे विश्वास तुम पर है।
अभी आजा हमारे घर, न तुझ बिन शोभता घर है।।

भला किसको बुलाऊंँ मैं,मुझे बस आस है तेरी।
जरा आकर नजर फेरो,करो ना आज तुम देरी।।

लगाकर कूश का आसन,बिठाऊँ आपको उसपर।
नहाकर साफ जल से मैं, सजाकर रेशमी चादर।।

लगाऊंँ भाल पर चंदन,चढ़ाऊँ पुष्प की माला।
लगाऊंँ भोग लड्डू का,पिलाऊँ दूध का प्याला।।

चरण तेरे पडूँ देवा,जरा मुझ पर दया करना।
अगर पथ में रुकावट हो,सुनो उसको अभी हरना।।

बना दो आज बिगड़ी तुम,मिटा दो वेदना मन की।
पकड़ पतवार हाथों से,उबारो नाव जीवन की।

मुझे आशीष दो इतना,सभी पूरे मनोरथ हों।।
मुझे मंजिल मिले मेरी,रुके कोई नहीं पथ हों।।

 सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

गणेश वंदना ( दोहा छंद)

गणेश वंदना ( दोहा छंद)

देव गणपति पधारिए,आज हमारे धाम।
चरणों में मस्तक नवा,करते हम प्रणाम।।

मन से लोग पुकारते, लेकर उनका नाम।
जीवन सदा संवारते,बनते बिगड़े काम।।

दीन-हीन जो लोग हैं, रखते उनकी लाज।
अपने भक्तों के सदा,सफल करें सब काज।

मूषक वाहन चढ़ सदा, करें भ्रमण चहुं ओर।
आपद-विपद सभी हरें,चाहे जितना घोर।।

विघ्नेश्वर-संकट हरण,सबके दीनानाथ।
अपने भक्तों के सदा,सिर पर रखते हाथ।।

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Monday, September 18, 2023

तीज

तीज का त्यौहार आया, निर्जला उपवास है।
व्रत रखती नारियों के,मन में बड़ा उल्लास है।।
बालू की त्रिमूर्ति बना कर बहुत विश्वास से।
पूजती सती-गौरी-शंकर,को वर की आस से।।

स्नान कर वस्त्राभूषण,पहना पुष्प की माल को।
सिंदूर-रोली को लगाकर,सजाती सबके भाल को।
गौरी शंकर को मनाती,करती मन से वंदना।
संग उनके हैं विराजे, कार्तिक गणपति नंदना।।

मेवा मोदक भोग है,संग रख मिष्ठान को।
कर आरती कर्पूर की,करती नमन भगवान को।।
मांगती वर ईश से, सौभाग्य की कर कामना।
हे प्रभु सौभाग्य दो,मन यही है भावना।।
           सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Sunday, September 17, 2023

जय विश्वकर्मा भगवान (कविता)

जय विश्वकर्मा भगवान

आदि शिल्पी विश्वकर्मा नमन बारम्बार।
नमन बारम्बार तुझको नमन बारम्बार।

ध्यान धर तेरे चरण में,जोड़ूंँ अपने हाथ।
दण्डवत प्रणाम कर,झुकाऊँ अपना माथ।
श्रद्धा से तुमको चढ़ाएँ,हम पुष्प- हजार ।

तूने सिखाया है हमें,कला ज्ञान-विज्ञान।
तेरी ही माया से हम,करते नित अनुसंधान।
सारी सृष्टि में उद्योग के तुम हो रचनाकार।।

तेरी कृपा से ही हे स्वामी, कारखाने है बने।
आसान हुए काज सारे, निर्माण होते सौ गुणे।
तेरे ही आशीष से होता,सपने सभी साकार।

सड़क-पुल हमने बनाए,किये भवन निर्माण।
बाँध-रेल नौका बनाए,बनाए तोप विमान।
आत्मरक्षा करने के लिए,बनाये हम हथियार।
            
       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, September 15, 2023

अभियंता दिवस (आलेख)



अभियंता दिवस

भारत रत्न मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्मदिन पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु हम सभी भारतवासी राष्ट्रीय अभियंता दिवस मनाते हैं।यह सच है कि एम विश्वेश्वरैया जी देश के महान अभियंता थे ।देश के विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से ही हमारा देश बड़े -बड़े उद्योग चला रहा है।उनके बहुमुखी प्रतिभा को तथा देश के प्रति उनके योगदान एवं समर्पित भावना को नमन।
            इन महान अभियंता के साथ -देश के आदि शिल्पियों, अभियंताओं को भी नमन जिन्होंने अपने शिल्प कला का ऐसा छाप छोड़ा जिसका प्रमाण आज भी मौजूद है। भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाए गए भवनों, मंदिरों को हम आज भी देख रहे हैं।नल-नील द्वारा निर्मित समुंद्र पर बना पुल का अवशेष आज भी मौजूद है।
अन्य भी बहुत सारे वास्तुकार थे जिन्होंने अभियंत्रण की परंपरा चला दी। अभियंता दिवस पर सभी अभियंताओं को सादर वंदन-अभिनंदन

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, September 12, 2023

आ सुर मिला लें (गीत )

आ सुर मिला लें (गीत)

आ सुर मिला लें जरा,
      एक नए अंदाज में।
         साथ गुनगुना लें जरा,
              एक सुर के राग में।

सुर  को  सँवार लें,
   लय को निखार लें।
       बेसुरे   रागों   को,
         थोड़ा हम सुधार लें।
           सुर को सजा लें जरा,
               एक प्यारे अंदाज में।
                 साथ गुनगुना लें जरा,
                    एक  सुर के  राग में।

आ साथ मिलके हम,
      छेड़े आज सरगम।
        मधुर -मधुर तान दे,
            तरs रs तरम पम।
              दिल बहला लें जरा,
                  एक नए अंदाज में।
                    साथ गुनगुना लें जरा,
                        एक सुर के राग में।

मिल्लतों की  रीत  हो,
  सबको सबसे प्रीत हो।
      सबके सुरों में  आज,
         एकता  के  गीत  हो।
           एक लय में गा लें जरा,
               एक  नए  अंदाज  में।
                  साथ गुनगुना लें जरा,
                      एक  सुर  के राग  में।

                       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, September 8, 2023

शिव -पार्वती (विधाता छंद)

शिव पार्वती (विधाता छंद)

भवानी संग शिव-शंकर,चढे हैं वृषभ के ऊपर।
उतर कैलाश पर्वत से,मगन हो घूमते भू पर।

मिले जो भक्त राहों में,उसे वरदान देते हैं।
विनय कर जो बुलाते हैं,सभी की शुद्धि लेते हैं।

जटे में गंग की धारा,चमकता चांद है सिर पर।
विराजे कान में कुण्डल,अजब मुस्कान है मुख पर‌।

गले में नाग की माला,तिलक चंदन लगाए हैं
बढ़ी शोभा कमण्डल की,बदन में भस्म लगाए हैं।

लिए हैं हाथ में डमरू,बजाते डम डमा डम-डम।
थमा त्रिशूल है कर में, चमकता चम-चमा चम-चम।

फँसी नैया उबारेंगे,हमें बस आस है उनपर।
सदाशिव अब पधारेंगे,सदा विश्वास है उनपर।

यही आशीष दो सबको,सभी जन बकोई।

सुजाता प्रिय समृद्धि

Wednesday, September 6, 2023

मुस्कुराता चल (गीत)

मुस्कुराता चल

मुस्कुराता चल सदा तू,मुस्कुराता चल। 
मन से दुःख को दूर करने,मुस्कुराता चल।
मुस्कुराता चल सदा तू..........
मुस्कान वह हथियार है जो,दुःख को करता है पराजित।
उमंग को मन में है लाता,सुख से दुःख करता विभाजित।
मुस्कान है हथियार सुख का यह बताता  चल।
मुस्कुराता चल सदा तू......
मुस्कान है शृंगार तेरा,रह सदा तू सज-सँवर।
मुस्कान की उपचार से,दु:ख-दर्द होता बेअसर।
मन के छाले को छुपा लो,सुख दिखाता चल।
मुस्कुराता चल सदा तू,........
मुस्कुरा तू फूल जैसे,कर दंश भौरों का सहन।
शीत-ताप को अंग से लगा,मुस्कान की चोला पहन।
दुख से नहीं घबराएँगे हम, यह बताता चल। 
मुस्कुराता चल सदा तू........
देखना मुस्कान से दुःख भी सदा घबराएगा।
मुस्कान की आभा से डर,निकट न  तेरे आएगा।
मुस्कुरा कर तुम जहाँ से दुःख भगाता चल।
मुस्कुराता चल सदा तू............

सुजाता प्रिय समृद्धि

जनम लिये नन्दलाल ( श्रीकृष्ण जन्माष्टमी)

जनम लिये नन्दलाल बधाई भारत को।
नन्द के लाल, यशोदा के लालन,
मदन-मुरारी गोपाल बधाई भारत को।
जनम लिये नन्दलाल........
कंश-असूर को मार गिराए।
ध्रुव-प्रहलाद के प्राण बचाए।
बनकर रक्षापाल बधाई भारत को।
जनम लिये नन्दलाल.........
मुरली धुन पर राग सुनाये।
व्रजवासिन को आन रिझाये।
छेड़े सुर-लय-ताल बधाई भारत को।
जनम लिये नन्दलाल..............
गौ को चराकर वन-उपवन में।
भर दी जन-जन के वे मन में।
गो पालन की चाल, बधाई भारत को।
जनम लिये नन्दलाल.....
द्रौपदी की लाज बचाए।
हाथ उठाकर चीर बढ़ाए।
सभा में किये कमाल, बधाई भारत को।
जनम लिये......
अंगुली पर गिरि को उठाए।
व्रजवासियों को प्रलय से बचाए।
छत्र हम गिरी को सम्हाल बधाई भारत को
जनम लिये नन्दलाल.......
अर्जुन के सारथी बन कर।
गीता का उपदेश सुनाकर।
तोड़े माया जाल, बधाई भारत को।
जनम लिये नन्दलाल............
जो जन मन से आज बुलाते।
किसी रूप में दौड़े हैं आते।
हरते हैं दुःख-काल, बधाई भारत को।
जनम लिये नन्दलाल,...........
        सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Tuesday, September 5, 2023

शिक्षक (दोहे )

शिक्षक देते हैं सदा, विद्या- बुद्धि व ज्ञान।
शिक्षक से हम सीखते,साहित्य, औ-विज्ञान।।

लक्ष्य-प्राप्ति के लिए, बतलाते हैं राह।
शिक्षक बिना जीवन में, मिलता कभी न थाह।।

हम माटी की लोय हैं,शिक्षक हैं कुम्हार।
गढ़ते हमको चाक पर,देते हैं आकार।।

शिक्षा की प्रसाद खिला,करते हैं गुणवान।
शिक्षकों के गुण अपना,बनता गुण की खान।।

ज्ञान की दीप को जला, देते हैं सद्ज्ञान।
राह दिखाना ज्ञान का, शिक्षक की पहचान।।
              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

शिक्षा से हम प्यार करते हैं (कविता)

शिक्षा से हम प्यार करते हैं

हम शिक्षक हैं, शिक्षा से हम प्यार करते हैं।
नयी पीढ़ी में,शिक्षा का विस्तार करते हैं।
.. 
साक्षरता अभियान चला, निरक्षरता को भगाते हैं।
विद्या है अनमोल रतन, सबको पाठ पढ़ाते हैं।
पूर्ण-साक्षरता के सपने हम साकार करते हैं।

शिक्षा की ज्योत जला,सबको राह दिखाते हैं।
निराशों को आस दिला,मन विश्वास जगाते हैं।
दिखा सफलता के पथ का, विस्तार करते हैं।

शिष्यों में छुपी प्रतिभा की पहचान करते हैं।
नये सिरे फिर उनमें नव-निर्माण करते हैं।
बढ़ा मनोबल हम उनमें निखार करते हैं।

शिक्षा की सेवा करने ,हर पल कदम बढ़ाते हैं।
ज्ञान किसी को देने में,तनिक नहीं घबराते हैं।
जीवन की हर चुनौतियांँ स्वीकार करते हैं।

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Sunday, September 3, 2023

होनहार विद्यार्थी



      होनहार विद्यार्थी 

मन शरीर स्वस्थ रहें,
           सात्विक भोजन करते हैं।
स्वान निद्रा में सोते हैं,
             सुबह जाग कर पढ़ते हैं।
बगुले जैसा ध्यान लगाकर,
                 स्वाध्याय वे करते हैं।
जब-तक पाठ याद ना होता,
                  काक चेष्टा करते हैं।
बुरे- विचार मन में ना आए,
               अच्छी संगति करते हैं।
सबसे सीखते,सबको सिखाते,
                 ज्ञान अर्जन करते हैं।
घर में पाठ समझ न आता,
      विद्यालय की राह पकड़ते हैं।

         सुजाता प्रिय समृद्धि

प्रेम नगर का झूला रे

प्रेम नगर का झूला रे।

काहे की डांडी ?काहे की डोरी?
काहे का लटका झूला रे ?
प्यार की डांडी। प्रेम की डोरी।
प्रीत का लटका झूला रे।

कौन झूले को कस कर बांध्यो?
किसका बंधन खुला रे ?
विनम्र झूले को कस कर बांध्यो,
उद्दंड का बंधन खुला रे।

कौन झूले पेंग बढ़ाकर ?
कौन मद में फूला रे ?
संस्कारी झूले पेंग बढ़ाकर,
अहंकारी मद में फूला रे।

कौन झूले चाक-चौबंद हो ?
कौन सुध-बुध भूला रे ?
स्वार्थी झूले चाक-चौबंद हो,
नि:स्वार्थी सुध-बुध भूला रे।

कौन झूले को यत्न से राख्यो ?
कौन पड़ायौ धूला रे ?
समझदार झूले को यत्न से राख्यो।
नासमझ पड़ायौ धूला रे।

छलिया मन में कपट रख झूले,
मन में राखे शूला रे।
कहे 'समृद्धि' निष्कपट हो झूलो,
हृदय न राखों हुला रे।

सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

Friday, September 1, 2023

हम साथ-साथ रहें

हम साथ-साथ रहें ( मुक्तक)

भगवान आपके चरणों में झुका हमारा माथ है।
   हमारे सिर पर भी वर हेतु उठा आपका हाथ है।
       हे भगवान ! आपको हमारा  बारम्बार प्रणाम -
         आपका ही वरदान से आज हम सब साथ-साथ हैं।

हम सभी हैं साथ-साथ,हम साथ-साथ ही रहें।
   साथ-साथ रह दुनिया की अच्छाइयांँ गहें।
      हम साथ-साथ खाएंँ-पीएंँ , साथ ही जीयें-
         और साथ-साथ मिल सब सुख-दुख को सहें।

एकता का संदेश लेकर साथ आगे बढ़े।
   जीवन के सुगम राहों को हम मिलकर गढ़े।
      ज़मीं पर सफलता की बनाकर हम सीढ़ियाँं-
         आसमां तक हमसब साथ मिलकर ही चढ़ें।

भगवान! आपसे हमको,बस है इतनी आस।
  कठिनाइयाँ हमारे जीवन में,कभी न आए पास।
      विषमता को सुलझाएँ बस यही विनती है हमारी-
         मुश्किल का तम जब भी घिरे लाएँ नया उजास।

सच्चाई की डगर पर स्वामी सदा चलते जाएँ।
   हिम्मत से काम लेकर नित आगे बढ़ते जाएँ।
      सामना करें हर मुश्किल का इतना दें वरदान-
         विषम परिस्थितियों में हमरा मन नहीं घबराए।
      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

भारत का संदेश

भारत का संदेश 

भारत अपना देश,जिसका प्यारा यह संदेश,
                                 आगे बढ़ते जाओ।
 लेकर मन में विश्वास,कर सफलता की आस,
                                 रास्ता गढ़ते जाओ।

 भारत प्यारा,देश हमारा , यहाँं के हम हैं बासी।
सुख-वैभव की चाह नहीं है,रक्षा के अभिलाषी।
पहनकर सैनिक का वेश, बचा लो अपना देश,
                              दुश्मन से लड़ते जाओ।

इसकी वायु में सांँस लेकर, ही तो हम जीते हैं।
इसका खाते अन्न-फल,हम इसका पानी पीते हैं।
प्यारा यह उपहार,इससे मिलता है हयको प्यार,
                                 प्यार तो करते जाओ।

इस धरती की रक्षा करना, है धर्म हमारा भाई।
इसकी ममता के आँंचल में,हम लेते हैं अंगड़ाई।
कर लो इससे प्यार,हमारा यह सुंदर है संसार।
                                     ऊपर चढ़ते जाओ।

जीवन धन्य होगा कर,इस पर प्राण निछावर।
इसका मस्तक ऊंँचा कर दें, हिमालय के बराबर।
हम सब मिलकर साथ,नवाते जाओ अपना माथ,
                                 नमन सब करते जाओ।

 सुजाता प्रिय समृद्धि