जिसमें है पुरुषार्थ अनुपम।
वह बन जाता है पुरुषोत्तम।
जिसके बाहु में रक्षा का बल हो।
सुरक्षा करने की इच्छा प्रबल हो।
जिसके विचार सदा हो उत्तम।
वह बन जाता है पुरुषोत्तम।
दया निर्बल पर जिसके मन में।
मेहनत की ताकत हो तन में।
अच्छा-भला का हो संगम।
वह बन जाता है पुरुषोत्तम।
कभी न मन में कोई छल हो।
नयनों में माया का जल हो।
विवेक-बुद्धि कभी न हो कम।
वह बन जाता है पुरुषोत्तम।
ईर्ष्या-द्वेष और क्रोध नहीं हो।
शान-घमंड का बोध नहीं हो।
आगे बढ़ता हो जो हरदम।
वह बन जाता है पुरुषोत्तम।
जो संकट में हार न मानें।
कर्म को अपने हाथ न माने।
कर्मवीर बन करता है उद्धम।
वह बन जाता है पुरुषोत्तम।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
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