Friday, March 19, 2021

घर में होली

देख भाभी का सुंदर मुखड़ा,गोरे-गोरे गाल।
 मैं और दीदी मिलकर आई,लगाने उन्हें गुलाल।
जोगीरा सा रा रा रा रा

गुलाल लगाने जीजा जी भी, दौड़े-दौड़े आए।
गुलाल समझ धनिये का चूरा जाकर उन्हें लगाए।
जोगीरा सा रा रा रा रा

हमें लगाने मंझली भाभी,मग में घोली रंग।
रंग उठाकर छोटका भैया, रंग गये उनके अंग।
जोगीरा सा रा रा रा रा

पांव दबा भैया की शाली,आई चुपके-चुपके।
मुंह में माटी पोती दीदी,खड़ी थी पीछे छुपके।
जोगीरा सा रा रा रा रा

बहाने से मंझले जीजा बोले, हुआ हमें जुकाम।
सुखा पोटीन लगाकर हमने, मुखड़ा रंगा तमाम।
जोगीरा सा रा रा रा रा

बाल्टी में मुहल्ले के भैया,आए लेकर कीचड़।
उढ़ेल दिया जीजा के सिर पर,बन जीजा गीदड़।
जोगीरा सा रा रा रा रा

कीचड़ सुखाने भाभी ने, दी उनपर रूई डाल।
अब जीजू का रूप देख हम, हंस-हंस हुए बेहाल।
जोगीरा सा रा रा रा रा
               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

2 comments:

  1. ये तो ज़बर्दस्त होली हो गयी .... उत्तर प्रदेश में खेली जाती ऐसी होली ... साक्षी हूँ ऐसी होली की:) :)

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  2. बहुत बढ़िया मनभावन गीत, वाह मज़ा आ गया, अगर समय मिले तो कभी मेरे ब्लॉग्ज़ पर भी भ्रमण करें।बहाने से मंझले जीजा बोले, हुआ हमें जुकाम।
    सुखा पोटीन लगाकर हमने, मुखड़ा रंगा तमाम।
    जोगीरा सा रा रा रा रा...बिल्कुल सही कहा,ऐसे कई जीजा मिलते हैं होली में,,

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