गुरु जी तुम्हारे चरणों में
हम शीश नवाते हैं निश दिन गुरु जी तुम्हारे चरणों में।
विश्वास है मन में मिलेगा सदा, आशीष तुम्हारे चरणों में।।
हम शीश झुकाते हैं...............
यह देश हमारा धन्य हुआ।
जिसमें तेरा है जन्म हुआ।
हमें मिलती रहे तेरी दिव्य प्रभा,
गुरु जी तुम्हारे चरणों में।
हम शीश झुकाते हैं................
विश्व में भारत की शान बनी।
तुझसे संघ की पहचान बनी।
हम सब भी सदा बुद्धिमान बने।
गुरुजी जी तुम्हारे चरणों में।
हम शीश झुकाते हैं................
उन हिन्दुओं को संगठित किये।
थे धर्म से जो विचलित हुए।
हम आएं हैं प्रेरित हुए।
गुरु जी तुम्हारे चरणों में।
हम शीश झुकाते हैं...............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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