Monday, December 23, 2024

आया बंदर

आया बंदर 

कूद- कूदकर आया बंदर। 
    मेरी मधु बगिया के अंदर।। 
        आमों की डाली पर झूला। 
            अपनी करनी पर खूद फूला।। 

चुटकियों में फूल मसलकर। 
    नन्हें- नन्हें पौध कुचलकर।। 
        सब तहस-नहस कर डाला। 
            पके फलों को तोड़ उछाला।।

बीच चबूतरे पर चढ़ बैठा। 
    थके देह को थोड़ा ऐठा।।
         चोरी- चोरी चुपके- चुपके। 
             धीरे -से मैं पहूँची छुप के।।

लम्बी पूंछ उसकी झट पकड़ी। 
    हथेलियों में कसकर जकड़ी।। 
         बंदर बोला खीं- खीं करके। 
             पूछ छोड़ मैं भागी डर के।।

उछल कर बंदर आगे आया। 
    आँख दिखाकर मुझे डराया।।
         चिल्लाई मैं माँ-माँ कहकर। 
            बंदर भागा तुरंत उछल कर।।

                      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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