अपराजिता
Wednesday, December 25, 2024
कोयल काली
कोयल काली
भूरी-काली पंखों वाली।
मधुवन की कोयल मतवाली।
कू-कू करती फिरती आली।
बोली इसकी बड़ी निराली।
मन की वेदना हरने वाली।
फुदक-फुदक कर डाली -डाली।
फूलों जैसी खुश दिल वाली।
लगती कितनी भोली - भाली।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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