Sunday, December 8, 2024

बुद्धिमानी

बुद्धिमानी

नहर पार के अमरूद पेड़ पर, बैठा था एक बंदर। 
उस पेड़ में अमरूद के फल, लगे हुए थे सुंदर। 
इस पार से राजू ने सोचा,कैसे अमरूद खा पाऊंँगा।
हट भी जाए बंदर तो क्या,नहर पार कर पाऊंँगा ? 
उसके मन में उपजी एक, तत्काल योजना प्यारी। 
झट उठा एक नन्हा-सा पत्थर, बंदर पर दे मारी। 
बदले हेतु बंदर को जब,मिला न पेड़ पर पत्थर। 
झट से अमरूद तोड़ पेड़ से, फेका राजू के ऊपर। 
पहले से तैयार था राजू,लपक लिया अमरूद को। 
मीठा अमरूद खा मन से,धन्यवाद दिया बंदर को। 
बुद्धिमान लोग किसी काम में,जब दिमाग लगाते। 
बुद्धि-कौशल व चतुराई से, मनचाहा फल हैं पाते। 

     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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