Friday, December 20, 2024

हम देश को बनाएँगे

हम देश को बनाएंँगे 

हम देश को बनाएंँगे,गुलशन से भी प्यारा। 
बन जाए हिन्द मेरा,संसार में न्यारा। ।
बन जाए हिन्द मेरा............ 
इसकी गली-गली में, बसे प्यार के ही घर हों। 
बसी प्यार की ही बस्ती,बसे प्यार के नगर हों। 
पगडंडी प्यार की हो, और प्यार के डगर हों। 
मंदिर भी प्यार की हो,पूजा जिधर- जिधर हो। 
स्वर प्यार के ही गूंजे, संकल्प हमारा।
बन जाए हिंद................ 
इसके वन- उपवन में घने वृक्ष प्यार के हों। 
पर्वतों में इसकी चोटियाँ, प्यार की हों। 
फूलवारियों खिलती कलियाँ भी प्यार की हों। 
पेड़ों की डालियों में, लदे फल भी प्यार के हों। 
नदियों के दोनों कुल में, बहे प्रेम की धारा।
बन जाए हिन्द मेरा................. 
हम रोशनी करेंगे,प्यार का दिया जलाकर। 
दूर होगें तम यहाँ से,नफरतों को मिटाकर। 
जब राह न मिले तो,नव पथ हम गढेंगे। 
हम साथ-साथ चलकर मंजिल तरफ बढेंगे। 
अपने सभी जनों को देकर के हम सहारा।
बन जाए हिन्द मेरा........... 
            सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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