Thursday, January 2, 2025

नववर्ष

नववर्ष (सवैया छंद)

आगत का सब स्वागत ले कर,
         आज सभी खुश होकर भाई।
मान अभी अपने मन में सब,
           बीत गया अब ले अंगड़ाई।।
वर्ष नवीन अभी फिर सुंदर,
           वर्ष यही अब हो सुखदायी।
ईश मना सब शीश झुकाकर,
           मांँग सभी मन से वर भाई।।

मास बिता कर जो तुम बारह,
             आगत वर्ष रखें पग प्यारे।
कर्म करो सब नेक तभी यह,
               वर्ष हमार रहे सब न्यारे।।
नेक किये जब काम सभी तब,
              साथ रहे सुर पांँव पसारे।
कर्म सभी चित में रखते तब,
           ही खुश हैं भगवान हमारे।।

आ अब भूल गिले-शिकवे हम,
          आपस में निज हाथ मिला लें।
जो जन रूठ गये उनको भी,
         पास बुलाकर आस दिला लें।।
आज नया दिन है यह सुंदर,
              प्यार भरा मधुमास मना लें।
हैं नव - रुप सजा यह सुंदर,
               आ सबको हम पास बुला लें।।

                सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

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