रेल
छुक-छुक करती रेल चली।
करती कितने खेल चली।।
इंजन दौड़े आगे-आगे।
उसके पीछे डब्बे भागे।।
रेल हमारी बड़ी सवारी।
ढोती माल भारी भारी।।
छुक छुक भाई छुक छुक।
प्लेट फॉर्म पर जाती रुक।।
यात्री चढ़ने और उतरते।
फिर अपने गंतव्य पर बढ़ते।।
लोहे की पटरी पर चलती।
कभी न रुकती कभी न थकती।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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