हम बच्चे हैं
आप बडे़ हम बच्चे हैं।
दाँत हमारे कच्चे हैं।
मन में कोई खोट नहीं,
हमसब कितने अच्छे हैं।
भला- बुरा का ज्ञान सीखते,
मन से भेद मिटाते हैं।
ऊँच-नीच और जात-पात को,
कभी न मन में लाते हैं।
सबको माने एक समान,
हम सब दिल के सच्चे हैं।
हाथ जोड़कर, शीश नवाकर,
नमन आपको करते हैं।
आप हमें आशीष दीजिए,
हम-सब आगे बढ़ते हैं।
कल के कर्णधार बनें हम,
अभी अक्ल के कच्चे हैं।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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