जय माता कात्यायनी ( विजया घनाक्षरी)
है चार भुजाओं वाली,
ले कमल फूल वाली,
कात्यायन की बिटिया,
कात्यायनी कहलाई ।
जय माता कात्यायनी,
शीघ्र हो फलदायिनी,
दुर्गा का षष्ठम रूप,
लेकर है माता आयी।
महिमा तेरी अनूप,
समझे न देवा- भूप,
ले कर बालिका रूप,
कात्यायन घर आयी।
सुनो दुनिया के लोग,
रलगाओ मधु का भोग,
होबे नहीं चर्मरोग,
माताजी है बतलाई।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
शुभकामनाएं |
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDelete