तेरा भक्त जोहे वाट, मैया सुख का दो वर,
सारे विघ्न दो मांँ काट, धन - सम्पत्ति दो भर
भक्त खङे तेरे द्वार। माता भरो न भंडार।
पटना की महारानी, सारे परिवार साथ,
पटनदेवी भवानी, माता जोडकर हाथ,
तेरी दुनिया दिवानी, हम झुकाकर माथ,
लाज रखो इस बार। खङे लगा के कतार।
तेरे नाम का नगर, निर्बुद्धि और निर्धन,
किसी को न यहांँ डर, दुखी-रोगी-मूढ-जन,
सब दुख लेती हर, ले विकृत तन - मन,
माता कर उपकार। कर रहे हैं पुकार।
मेरी विनती है आज, माता दया का दो दान
रख माता मेरी लाज, रखो सबका मां मान,
सब पूरा करो काज, कर दो माता कल्याण,
दो संकट से उबार। दो मांँ जीवन संवार।
सुजाता प्रिय समृद्घि
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