यशोमती के लाल,बधाई..................
यमुना तट पर,सुबह-सबेरे,
मुरली-धुन में राग बिखेरे,
छेङे सुर-लय-ताल,बधाई..................
गैया चराकर वन-उपवन में,
भरे जन-जन के वे मन में,
गौ पालन की चाल,बधाई..................
अर्जुन के सारथी बनकर,
गीता का उपदेश सुनाकर,
मन से संदेह निकाल,बधाई................
भरी सभा में चिर को बढाए।
वे द्रौपदी की लाज बचाए।
सुनकर उनकी हाल, बधाई...............
गिरी उठाकर छत्र बनाए।
No comments:
Post a Comment