Wednesday, April 1, 2020

अयोध्या नगर को प्रणाम

अयोध्या नगर को प्रणाम,
जहाँ श्रीराम जनमें।
दशरथ जी के घर को प्रणाम,
जहाँ श्रीराम जनमें।

कौसिल्या के लाल
और दशरथ के ललना,
भारत भूमि को प्रणाम,
जहाँ श्रीराम जनमे।

राम जी जनमे
और लक्ष्मण जी जनमें,
जनमें भरत - शत्रुघ्न,
जहाँ श्रीराम जनमें।

पिताजी की आज्ञा
पालन कर राम जी,
गये चौदह बरस वनवास,
जहाँ श्रीराम जनमें।

राम के प्रेम में
सीता और लक्ष्मण
दोनों गए उनके साथ
जहाँ श्रीराम जनमें।

भरतजी अयोध्या में
राज्य चलाये,
सिंहासन पर रख कर खड़ाऊँ,
जहाँ श्रीराम जनमें।

शत्रुघ्न जी भरत के
संग में रहते
भाई थे चारो महान
जहाँ श्रीराम जनमें।

राम लड़ें जब
ऱावण से जाकर,
लक्ष्मण को लगा
शक्ति- वाण,
जहाँ श्रीराम जनमें।

संजीवनी के लिए
पर्वत ले आए,
राम भक्त वीर हनुमान,
जहाँ श्रीराम जनमें।

राम के जैसा
राज्य न मिलता,
ढूंढ लो दुनियाँ जहान
जहाँ श्रीराम जनमें।

अयोध्या नगर
को प्रणाम।
जहाँ श्रीराम जनमें।
दशरथ के घर को प्रणाम,
जहाँ श्रीराम जनमें।

       .      सुजाता प्रिय

3 comments:

  1. मेरी रचना को पाँच लिकों का आनंद पर साझा करने के लिए बहुत-बहुत-बहुत धन्यबाद एवं हार्दिक आभार।

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  2. Replies
    1. हार्दिक आभार एवं सादर धन्यबाद सर।नमन आपको।

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