धन्य माँ धरती
धन्य-हो तू हे माँ धरित्री,
हमको तूने जन्म दिया।
गोद बैठाकर पाला-पोसा,
और खाने को अन्न दिया।
नदी-तालाब,झील-झरनों से,
तूने पीने को जल दिया।
तन मे शक्ति भर जाने को,
साग-सब्जी और फल दिया।
गिरी-कंदराओं,पेड़-गुफा में,
जीवों को आवास दिया।
वायु से शुद्ध संजीवनी दे,
फूलों से सुवास दिया।
दिन में प्रकाश फैलाने को,
सूर्य से ले रोशनी दिया।
काली रात का तम हरने,
चँदा से ले चाँदनी दिया।
धूरी पर अपनी घूमकर,
तूने हमको दिन-रात दिया।
सूरज की परिक्रमा कर,
त्रृतुओं की सौगात दिया
दुनियाँ के सब जीवों को,
माँ तू ही पालन करती है।
हम सबको तू धारण करती,
नाम तेरा तभी तो धरती है।
तुम्हें बचाने को माँ धरती।
हमसब मिल संकल्प करें।
संरक्षण तुझको देने को,
तुमको हमसब स्वच्छ करें।
. सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
. स्वरचित मौलिक
. २२/०४/२०२०
" विश्व धरती दिवस " पर सुंदर सृजन सखी ,आज तो धरती माता स्वयं ही अपना शुद्धिकरण कर रही हैं ,सादर नमन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।
ReplyDeleteवाह , प्रिय सुजाता जी | धरा माँ की महिमा बढाती बहुत सुंदर रचना |धरती माता का स्वच्छ होना बहुत जरूरी है जिसके लिए उसके बेटे डटे हुए हैं |आशा है जल्द ही बहुत सार्थक परिणाम सामने आयेंगे| आपके लिए हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी
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