Thursday, April 30, 2020

धरती के दो तारे टूटे

धरती वाले भयभीत खड़े थे,
उल्का पिण्ड टकराने वाला है।
धरती से वह टकराकर अब,
उथल-पुथल मचाने वाला है।

उल्का तो गुजर गया दूर से,
पर धरती के दो तारे टूटे।
ध्रुवतारा- से जगमग करते,
फिल्मी दुनियाँ के सितारें टूटे

दुनियाँ के रंग मंच पर वे,
अंतिम अभिनय दिखा गए ।
कभी साथ अभिनय करते वे,
अंतिम साँस तक निभा गए।

सारी दुनियाँ को यह दुःख है,
शोक-संतप्त हैं भारत के लोग।
दोनों ने साथ अभिनय किया था,
था कैसा यह  अंतिम संयोग।
       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

6 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(०२-०५-२०२०) को "मजदूर दिवस"(चर्चा अंक-३६६८) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  2. बहुत सुंदर रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी अनुराधा जी।

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  3. फिल्मी दुनिया के दो तारोंं के साथ ना जाने कितने घरों के तारे टूट रहे हैं...
    सुन्दर सृजन।

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  4. सही कहा सखी।

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  5. हृदय तल से श्रृद्धांजलि ।
    आज तो उन तारों के साथ ही कितने तारे टूट रहे हैं।

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