Tuesday, April 14, 2020

उम्मीद न छोड़ो ( गजल )


अकेले खड़े हो मुझे तुम बुला लो।
मायुस क्यों हो ,जरा मुस्कुरा लो।

रात है काली और अँधेरा घना है,
तम दूर होगा तू दीपक जला लो।

उम्मीद न छोड़ो, मंजिल  मिलेगी,
जो मन में बुने हो सपने सजा लो।

देखो तो कितनी है रंगीन दुनियाँ,
इन रंगों को लेकर उर में समा लो।

रूठा न करना कभी भी किसी से,
रूठे हुए को जरा तुम मना लो।

पराये को अपना बनाना  कला है,
अपनों को अपने दिल में बसालो।

बुराई किसी की तू मन में न लाओ,
अच्छाईयों को भी अपना बना लो।

प्यार सिखाता जो वह गीत गाओ,
झंकार करता  गजल गुनगुना लो ।
           सुजाता प्रिय
           राँची झारखंड

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