मेरे लिए मन में प्यार पालकर देखो,
एक नजर मुझपर डालकर दैखो।
माना मैं कोई हूर की परी ना हूँ,
तुम अपने रूप को खंगालकर देखो।
किसी बहकावे में कतराओ ना मुझसे,
अपने दिल में मुझे संभालकर देखो।
मैं बुरी लगती हूँ महफिल में अगर,
दिल में मेरा अक्श डालकर देखो।
क्यूँ इतराते हो खुद पे मीत मेरे तुम,
अपने मन में थोड़ा सवाल कर देखो।
आज तुझसे मेरी यह गुजारिस है कि,
मेरे साथ खुद को भी ढालकर देखो।
सुजाता प्रिय'समृद्धि'
स्वरचित मौलिक
वाह !! बहुत खूब ,सुजाता जी ,सादर नमन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सुप्रभात
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