Friday, January 31, 2020

बारात वसंत की

मौसम की पालकी पर सज सँवरकर ।
आया है वसंत देखो जी दुल्हा बनकर।

नव पल्लवों ने वंदनवार सजाए।
मंजरियों ने स्वागत द्वार सजाए।

कोयल गा रही स्वागत गान।
भौंरों  ने  मीठे  छोड़े  तान।

पंखुड़ियों  की घुंघट डाल।
फूलों ने पहनाये जयमाल।

पलास सिर पर तिलक लगाकर।
नव कोंपलों से लाया परछकर ।

बेला - जूही औ चंपा-चमेली ।
आगे बढ़कर करी ठिठोली।

चिड़ियाँ चहकी कलियाँ महकी।
चली हवा कुछ बहकी-बहकी।

पत्ते बजा रहे हैं झूमकर ताली।
थिरक-थिरक कर डाली-डाली ।

जन-जन का अब मन है हर्षित।
सरस-सलिल जीवन है पुलकित।
                       सुजाता प्रिय

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 01 फरवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी दीदीजी सादर नमन।मेरी रचना को सांध्य दैनिक मुखरित मौन में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।

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  2. बहुत खूब ,अति सुंदर सृजन सखी ,सादर नमन

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    1. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी! सादर नमन आपको भी।

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  3. जी नमस्ते अनीता बहन।मेरी रचना को वसंत के दरख्त चर्चा अंक में साझा करने के लिए सादर धन्यबाद।

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  4. बहुत सुंदर रचना सखी 👌

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