मानवता के दीप जला दें,
हम ऐसा इंसान बनें।
चहुँ दिशा में ध्वज लहराएँ,
ऐसा कीर्तिवान बनें।
हम सम्यक दुःख बाँट सकें।
हम सम्यक सुख बाँट सकें।
हर प्राणि को खुश कर जाएँ
हम ऐसा गुणवान बनें।।चहु......
हम पर सब विश्वास करें।
हम भी सबसे आस करें।
ऐसा हो एहसास दिलों में,
हम पर ही इमान बने।।चहु......
भूखे को इक रोटी दे दें।
और प्यासे को पानी दें।
जरुरतमंदों को बाँट सकें कुछ,
हम ऐसा धनवान बनें।।चहु......
सुजाता प्रिय
सुन्दर शुभेच्छाओं से सजी बहुत सुन्दर रचना सुजाता जी ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद प्रिय सखी मीनाजी! आपकी टिप्पणियाँ नवीन उर्जा का संचार करती हैं।सादर नमन आपको।
Deleteसुंदर विचारो से सुशोभित शानदार सृजन ,सादर
ReplyDeleteधन्यबाद सखी कामिनी जी।साादर नमन।
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