जगप्राणि को प्रीत सीखा दे।
हे जगदीश्वर एेसी दुआ दे।।
जन के दुःखों का अँधेरा मिटा दे।
जग में सुखों का सवेरा जगा दे।
इस धरती का जन-जन सुखी हो।
हे जगदीश्वर ऐसी दुआ दे।।
जन के दिलों में समता जगा दे।
भेद भुलाकर विषमता भगा दे।
कटुताओं को जड़ से मिटा दे।
हे जगदीश्वर एेसी दुआ दे।।
हमें ऐसी बुद्धी दो हे परमेश्वर।
आपस में हम रहें मिलजुलकर ।
नफरत दिलों से सदा ही दुरा दे।
हे जगदीश्वर ऐसी दुआ दे।।
कोई किसी की न करे अब बुराई।
बुराई के बदले भी करें हम भलाई।
यह रीत सबके मन में समा दे।
हे जगदीश्वर ऐसी दुआ दे ।।
सुजाता प्रिय
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
६ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
मेरी रचना को सोमवारीय विशेषांक में साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद श्वेता।
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर शुभकामना।
ReplyDeleteइस जग में 'दो प्रकार की सोच' सदैव रहेगा...और रहा भी है। बस आपके जैसा प्रयास लगातार होता रहना चाहिए...जिससे कि नकारात्मकता, सकारात्मकता पर कभी हावी ना हो।
सादर धन्यबाद भाई
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर
ReplyDeleteआभार आपका सर।हृदय तल से धन्यबाद।सादर नमन।
Deleteसुंदर शुभ जगत कल्याणकारी भावों वाली सुंदर रचना ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी ।आपके उत्साह बर्धन से आत्मबल में बढ़ता है सादर नमन।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद सखी
Deleteजन के दिलों में समता जगा दे।
ReplyDeleteभेद भुलाकर विषमता भगा दे।
कटुताओं को जड़ से मिटा दे।
हे जगदीश्वर एेसी दुआ दे।
मंगलमयी कामना के साथ बहुत ही लाजवाब दुआ
वाह!!!
बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सादर
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