Tuesday, January 14, 2020

मेरा नाम पतंग है

ना पंछी हूँ ना तितली हूँ,
मैं आसमान में उड़ती हूँ।
दूर - दूर तक  घूमती हूँ,
जब चाहूँ वापस मुड़ती हूँ।

ना विमान हूँ ना तुफान हूँ,
फिर भी भागी फिरती हूँ।
ना पंख हैं ना पाँव है,
जब चाहूँ उठती-गिरती हूँ।

ना हड्डी ना पसली मेरी,
ना मांस-खून ना चमड़ी है।
ना हाथ-मुँह है,ना पेट है,
मोल मेरा बस दमड़ी है।

अन्न-जल कुछ ना चाहिए,
ना खाती ना पीती हूँ।
ना सांस लेती,उछ्वास लेती,
हैरत है कैसे जीती हूँ।

ना कोयला , ना पेट्रोल चाहिए,
ना बिजली से चलती हूँ ।
ना भाप, ना गैस चाहिए,
निराधार मैं पलती हूँ।

उड़ूँ मचलकर, जैसे नभचर,
नन्हीं नटखट, करती छटपट।
रंग-विरंगी, मन- मतंगी,
हटपट-झटपट भागूँ सरपट।

देश-विदेश में पहचान मेरा,
जन-जन मेरे संग हैं।
मन में सबके भरूँ उमंग,
मेरा नाम पतंग है।
    सुजाता प्रिय

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 15 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जी सादर धन्यबाद एवं आभार दीदीजी।मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. वाह!!!!
    बहुत सुन्दर ....
    देश-विदेश में पहचान मेरा,
    जन-जन मेरे संग हैं।
    मन में सबके भरूँ उमंग,
    मेरा नाम पतंग है।

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  4. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी ।मकरक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  5. बहुत सुंदर पतंग की कथा

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  6. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।

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  7. बहुत सुंदर सखी मनभावन पतंग की सुंदर आत्मकथा।

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  8. बहुत-बहुत धन्यबाद सखी।सादर नमन।

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