क्या अजब हो गया देखते-देखते।
क्या गजब हो गया देखते-देखते।
जिसकी आगोश में है सारा जहाँ,
कोरोना छा गया देखते- देखते।
चैन अमनों-चमन का है लुट गया,
है त्राहिमां मच गई देखते- देखते।
हम अपने ही घर में हैं कैद पड़े,
नजरबंद हो गए देखते-देखते।
मुफ्त जानें गई बेकसूरों की यहाँ।
काल बन छा गया देखते-देखते।
जो लगते थे स्वस्थ्य-निरोगी यहाँ,
वे ही फना हो गए देखते-देखते।
मन में है अजब भय समाया हुआ,
घबराया है दिल देखते- देखते।
जाने कब-तक रहेगी इसकी कहर।
है यह डर सता रहा देखते-देखते।
हे ईश्वर है बस अब तेरा आसरा,
दुःख हर ले जरा देखते- देखते।
आशा की किरण मन में है जगी,
तू दुआ बन के आ देखते- देखते।
सुजाता प्रिय
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
No comments:
Post a Comment