हम शरण में आपके कब से खड़े।
आपके चरणों में आकर हैं पड़े।।
परमेश्वर हम आपकी संतान हैं।
मेरे सिर पर आपका वरदान है।।
गुण-सुबुद्धि आप हमको दीजिए।
हे प्रभो कल्याण हमारा कीजिए।।
सबके उर में आपका ही प्यार है।
सारे जग के आप पालनहार हैं।।
आप हममें ऐसी कुछ शक्ति भरें।
दुखियों के दुखड़े सारे हम हरें।।
तेरे चरणों में हम झुकाए माथ हैं।
हम अधम के आप ही तो नाथहैं।।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 23 जून 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यबाद भाई मेरी रचना को पाँच लिकों के आनंद पर साझा करने के लिए।
ReplyDeleteवाह!सखी ,बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति सखी
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