उठो वीर तुम अपनी सीमा की ओर बढो़ जवानों।
भारत माँ की रक्षा करने तुम दौड़ पड़ो जवानों।
सीमा के भीतर रावण कोई आने कभी न पाए ।
आ भी जाए तो वह बचकर,जाने कभी न पाए ।
साहस संचित कर दुश्मन को खदेड़ बढ़ो जवानों।
भारत माँ की रक्षा करने तुम दौड़ पड़ो जवानों।
तुम ही राम हो,तुम ही लक्ष्मण,सीता के रखवाले।
तुम ही हो महावीर देश के, लंका को ढाने वाले।
अयोध्या के सुख-वैभव को तुम छोड़ बढ़ो जवानों।
भारत माँ की रक्षा करने तुम दौड़ पड़ो जवानों।
हिम्मत मत हारो करते जाओ देश की तुम रखवाली।
विजय पाकर लौटोगे तब, मनाएँगे हम खूब दीवाली।
बम पटाखों-सा दुश्मन सेना पर फोड़ बढ़ो दीवानों।
भारत माँ की रक्षा करने तुम दौड़ पड़ो जवानों।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
No comments:
Post a Comment