तुझको मेरा प्रणाम
आजादी के दीवाने ! तुझको मेरा प्रणाम।
बारम्बार प्रणाम तुझको, बारम्बार प्रणाम।
प्रणाम- प्रणाम -प्रणाम, प्रणाम- प्रणाम -प्रणाम।
तूने ऐसा कदम उठाया,भागे अँग्रेज यहाँ से।
जिधर घूम तुम धूम मचाये भागे वे वहाँ से।
अँग्रेजी शाशन का तुमने,कर दिया काम तमाम।
बारम्बार प्रणाम तुझको..............
गाँधी की आँधी चली तो उड़े यहाँ से फिरंगी।
सिर पर पाँव रखकर भागी उनकी सेना सतरंगी।
फिर यहाँ आने की उसने लिया कभी ना नाम।
बारम्बार प्रणाम तुझको.............
भारत पर शासन करते थे,अँग्रेज यहाँ कुटनीति से।
प्रबुद्ध जनों को ज्ञात हुआ जब छलियों की राजनीति से।
अपनी रणनीति से उसको भगा दिया सरेआम।
बारम्बार प्रणाम तुझको............
उनकी मनमानी से पीड़ित हो जब वीर भारत के जागे।
पश्चिम के गोरे-छलिये तब,टिके नहीं उनके आगे।
आजादी के विगुल के आगे टिके नहीं इक शाम।
बारम्बार प्रणाम तुझको.............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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