यूं भी वर्षों से मेरे पास कहां तुम आते हो।
पता है हर महीने तुम आते हो शहर में मेरे,
और मुझसे बिना मिले ही तो चले जाते हो।
पल भर मिलने का, कभी फुर्सत नहीं तुझको,
जीवन भर साथ निभाने की कसम खाते हो।
एक एक खत लिखकर, हाल ना पूछते मेरा,
दुरियों का हमको अहसास क्यों दिलाते हो।
लाकडाउन में फोन करने की मनाही तो नहीं,
ना कभी फोन करते हो,ना ही फोन उठाते हो।
आज अपने नैनो में तुम छलकाकर ये आंसू,
वक्त बूरा है बहुत,अब ये बात क्यों बताते हो।
याद दिला कर तुम बीते हुए प्यार के लम्हे,
दिल में उठने वाले मेरे दर्द को बढ़ाते हो।
सुजाता प्रिय समृद्धि
,
र
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