Sunday, August 15, 2021

वे वीर थे हिंदुस्तान के



आजादी की खातिर जिसने,
जीवन को कुर्बान की।
वे वीर थे हिन्दुूस्तान के 2

अंग्रेजों से लड़ें वे डटकर,
अपनी कसम निभाने को।2
खायी थी जिसको दृढ़ मन से,
मां को आजाद कराने को।2
हंसकर वे दुश्मन की गोली,
खाए सीना तान के।
वे वीर थे.........................
जान गंवा लाशों की ढेरी,
लगा दिए जो दुश्मन की।2
भूल कभी परवाह नहीं की,
जिसने अपने जीवन की।2
जंजीर तोड़ दी मां की जिसने,
लगाके बाजी जान की।
वे वीर थे...........................
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने,
हंसी-खुशी बढ़ जाते थे।2
दुश्मन के जुल्मों-सितम से,
तनिक नहीं घबराते थे।2
बांध कफ़न वे सिर पर कहते,
जय-जय हिंदुस्तान की।
वे वीर थे..........................
           सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

5 comments:

  1. जी सादर धन्यवाद भाई ! मेरी रचना को साझा करने के लिए।

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  2. बहुत सुंदर रचना

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  3. वीरों को शत शत नमन

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  4. हार्दिक धन्यवाद

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