Sunday, August 15, 2021

जंगल की चिरैया (लघुकथा )



चिरैयो की गोष्ठी लगी थी।एक साथ ढेर सारी चिरैयों को बैठे देख आकाश में उड़ती चिरैया भी वहां एकत्रित होने लगी।पता चला वहां गीत प्रतियोगिता होने वाली है। प्रतियोगिता शुरू होते ही सभी चिरैया अपनी -अपनी बारी आने पर अपने प्यारे प्यारे गीत गाकर सुनाई। सर्वश्रेष्ठ गीत गाने वाली पांच चिरैयों को सम्मानित किया जाना था।एक चिरैया की मधुर आवाज़ और प्यारे गीत सुन सभी आत्मविभोर हो ग्ए।सभी ने उसकी गायकी की खूब प्रशंसा की और उसकी श्रेष्ठ गीतों के कारण उसकी खुब सराहा। फिर श्रेष्ठ गीत गाने वाली चिरैयों से उनका नाम पता पूछा जाने लगा।
उस चिरैया ने चहकते हुए कहा-मेरा नाम गीतिका है, मैं पास के जंगल के एक विशाल वृक्ष पर अपना घोंसला बनाकर रहती हूं।
उसका पता सुन प्रतियोगिता आयोजित करने वाली चिरैयों ने उसे हेय दृष्टि से देखते हुए अन्य चिरैयों से नाम पता पूछा।अन्य सुंदर गीत गाने वाली चिरैयों ने अपने घोंसले का पता छोटे-छोटे बगीचे के पेड़ पर या शहर के ऊंचे घरों के रोशनदानों में बताये। अब भला इस जंगल की चिरैया को कौन पूछे। सबसे प्यारा गाना गाती है तो गाए, सबसे मधुर आवाज है तो है।उसका निवास तो अच्छी जगह नहीं है न।भला जंगल में रहने वाली चिरैया को इतनी प्रसिद्धि क्यों ? जब बड़े-बडे़ शहरों में रहने वाली चिरैया यहां मौजूद हैं।उसे छोड़ अन्य चिरैयों को चयनित कर पुरस्कृत किया गया।बेचारी जंगल की चिरैया के सारे आस टूट गये। प्रसंशा से प्रसन्न मन उदास हो गया। उसे क्या पता था, "सम्मान गुण और कार्य-कुशलता से नहीं मिलता। उसके निवास और कुल श्रेष्ठता के कारण मिलता है।"
             सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
               स्वरचित, मौलिक

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 17 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जी दीदी जी सादर धन्यवाद मेरी रचना को पांच लिंकों के आनंद पर साझा करने के लिए।

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  3. सुप्रभातम् वाला नमन आपको ! आपकी जातककथाओं की शैली में भावपूर्ण लघुकथा स्थानीय प्रतियोगिताओं में चरितार्थ होती दिख पड़ रही, पर राष्ट्रीय स्तर पर या विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में ये भेदभाव वाली बातें अक़्सर झुठला दी जाती हैं। इसका ज्वलंत उदाहरण अभी के ओलिम्पिक में मेडल जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी हैं।
    यूँ तो इंडियन आइडल जैसे कुछ टीवी प्रोग्राम भी इसके उदाहरण हैं। वैसे तो वो हर जगह इस कलुषिता से वंचित हैं, जहाँ आरक्षण के नाम पर कोई जातिगत भेदभाव नहीं होता हो .. शायद ...

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    1. जी भाई साहब सादर धन्यवाद।जी कहीं -कहीं नहीं होता है। लेकिन कहीं-आरक्षण के नाम प्रतिभावानों को विफलता का सामना करना पड़ता है।

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  4. कथा से गहन कटाक्ष...।

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  5. स्वागत भले ही पोशाक से हो पर सम्मान और प्रतिष्ठा तो लियाकत से ही मिलती है ! अभी-अभी सम्पन्न हुआ सबसे बड़ा खेल आयोजन इसका साक्षात प्रमाण है !

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  6. जी सादर आभार भाई। एक-दो उदाहरण छोड़ कर।

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