Thursday, July 8, 2021

बिहार में बाढ़ (मगही गीत )



सुना-सुना भाई, सुना-सुना राही।
मचा देलकै बाढ़ बिहार में तबाही।

सुखाड़ हलै तो हमें पानी मांगलिऐ।
झम-झम बरसाबा भगवान के कहलिऐ।
बड़ी बरसैला अब अउरो न चाही।
मचा देलकै बाढ़ बिहार में तबाही।

नदी-नाला में उठल उफान है।
ताल-तलैया में मचल तुफान है।
सड़किया पर पनिया के धार बताही।
मचा देलकै बाढ़ बिहार में तबाही।

बढ़िया में बहलै मकान अउर झोपड़ी।
साग-सब्जी बहलै,सूप-दउरी-टोकरी।
कर न सकलिऐ कोय कौनो मनाही।
मचा देलकै बाढ़ बिहार में तबाही।

इनर भगवान के हमें पुजलिऐ।
मिश्री-बतासा  तुलसी चढैलिऐ।
अब बरसे में थोड़ा करहो कोताही।
मचा देलकै बाढ़ बिहार में तबाही।

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
            स्वरचित, मौलिक

2 comments:

  1. सखी , बिहार का हर साल बाढ़ की आपदा से जूझना समस्त देश को करुणा से भर देता है | सौभाग्यशाली हूँ मेरा जन्म इस दृष्टि से बहुत सुरक्षित क्षेत्र में हुआ | पर बिहार की बाढ़ पीड़ित जनता की परेशानियाँ देख और समझ कर कलेजा मुँह को आता है |बहुत जिवंत चित्र खींचा है आपने बाढ़ का | ऐसे दारुण समय में सिवाय प्रार्थना के और चारा भी क्या है !भगवान् करे अबके बरस बाढ़ की विभीषिका से बिहार सुरक्षित रहे |

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  2. जी सखी सादर नमन ।मैं मां से सम्बंधित एक साझा काव्य संकलन का सम्पादन कर रही हूं । आपसे निवेदन है कि आप भी शामिल हों और दूसरी सखियों को भी जोड़े। शुभरात्रि।

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