कोई भूल न पाबे रेss,महकिया माटी के।
मोर मन भाबे रेss,महकिया माटी के।
सोंधी-सोंधी खुशबू लुटाबे रे माटी।
हमरा के बड़ी मन भावे रे माटी।
मनमा में बसाबूं रेss,महकिया
माटी के।
मोर मन भाबे रेss,.............
सबसे सुनर हमर गांव के माटी।
राज्य के माटी औ देश के माटी।
कहुं न पाबुं रे महकिया माटी के।
मोर मन भाबे रेss,............
खेतबा-पथार में शोभे रे माटी।
अन्न-धन-सोना उगले ये माटी।
खलिहान में भावे रेss,महकिया माटी के
मोर मन भाबे रेss,.............
हमर माटी के है रूप निराली।
बलुआही-चिकनी-गोरी-काली।
सब रंग में भावे रेss, महकिया माटी के।
मोर मन भाबे रेss, ...... .....
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
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