Sunday, July 11, 2021

नेग की परम्पराएं

-हंसी-मजाक एवं नेग लेने का रिवाज
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हंसी-मजाक का रिवाज हमारी संस्कृति में माहौल को खुशनुमा बनाने में काफी सहायक रही है।
शादी में एक बहुत ही प्यारा रिवाज है द्वार-छेकाई का। जिसमें दालधोई मटकोड़ आदि की रस्में निभाकर वापस आने पर घर पुत्रियां द्वार घेरकर खड़ी होती हैं और सुंदर-सलोने गीत गाकर  नेग मांगती है। मां-चाची मौसी-मामी  थोड़े नोंक-झोंक, थोड़ी तकरार थोड़ी मनुहार और हंसी मजाक के बाद खुशी-खुशी उपहार एवं पैसे इत्यादि देती हैं।इसी प्रकार भांवर के लाबे बेचने का भी रस्म चलता है। शालियां दुल्हे के जूते छिपा कर भी कुछ उपहार प्राप्त कर लेती हैं।इस प्रकार हर विधि- विधान में नेग लेने और हंसी-मजाक कर शादी की खुशियों को बढ़ाने में इन छोटी छोटी रीति रिवाजों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
              सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

10 comments:

  1. व्वाहहहहह...
    बढ़िया...
    सादर...

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    1. सादर धन्यवाद और नमन दीदी

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  2. अच्छा याद दिलाया ! बहन-बेटियों का नेग तो हर शुभ अवसर पर आरता उतारते समय बंधा हुआ है ! आँचलिक भाषा के शब्द सुनने को जी तरस जाता है. और बताइए !

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    1. अभी भी हमारे पौराणिक रीति रिवाज माहौल को खुशनुमा बनाने में सफल होते हैं।

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  3. रीति रिवाज बनाये तो गए थे खुशनुमा माहौल बनाने के लिए लेकिन आज कल हर जगह स्पर्धा होने लगी है ।

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    1. जी सादर धन्यवाद दी

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  4. खुशियों में नोकझोंक ओर अधिक खुशनुमा माहौल बना देती है।
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  5. जी सादर धन्यवाद

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