Wednesday, July 21, 2021

करें हम धान की रोपाई



आ सखी शुभ घड़ी आई।
करें हम धान की रोपाई।
खेतबा में झूम-झूम के।

आया नक्षत्र शुभ-शुभ आद्रा।
नभ में छाया था काला बदरा।
किए हम खेत की जोताई।
करें हम धान की रोपाई।
खेतबा में..................

पहली वर्षा में बोया बिचड़ा।
जनम वह मोरी बन निकला।
हरी-हरी खेतों में लहराई।
करें हम धान की रोपाई।
खेतबा में................

झम-झम,झम-झम पानी बरसे।
मनमा हर जन-जन का हरसे।
मन में धरा भी मुस्काई।
करें हम धान की रोपाई।
खेतबा में................
       सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
           स्वरचित

16 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना। इस बार बिहार की बाढ़ में तो सारा बिचड़ा ही बह गया। प्रकृति का यह खेल यूँ ही चलता रहेगा।

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    1. हार्दिक आभार भाई ! सच कहा ।प्रकृति से खिलवाड़ का भी कुछ नतिजा है।

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  2. प्रिय सुजाता जी , पता नहीं अब ऐसे गीत गाये जाते हैं या नहीं पर अच्छा लगा धरती को समर्पित रोपाई का गीत ये गीत पढ़कर |सस्नेह शुभकामनाएं| |

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  3. जी सादर नमस्कार। बहुत -बहुत धन्यवाद भाई।मेरी रचना को पांच लिको के आनंद पर साझा करने के लिए।

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  4. आपका बहुत-बहुत और बहुत आभार सखी।इतनी मेहनत लगन और उमंग से धान की रोपाई करने वालियों की भावनाओं कोमन मन-ही-मन महसूस कर उजागर कर दिया सखी। हमारे अन्य समुह की सखियों को भी बहुत पसंद आया।

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना मैम! मै एक गाँव से ही हूँ मैने मुझे पता कि लोग कितने खुश हो कर धान की रोपाई करते हैं और बारिश का बेसब्री से इंतज़ार लेकिन जब यही बारिश अधिक हो जाती है तो किसानों के आंखों से आंसुओं की बरसात होती है!
    झम-झम,झम-झम पानी बरसे।
    मनमा हर जन-जन का हरसे।
    मन में धरा भी मुस्काई।
    करें हम धान की रोपाई।
    खेतबा में................!
    सच कहा आपने मैम बारिश के होने पर खेत मुस्कुराने लगते हैं और अपने धुन मे झूमने लगते हैं, जिसे देख मन भी झूम उठता है!

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    1. जी सखी बहुत बहुत धन्यवाद।

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  6. बहुत खूबसूरत गीत , धान रोपाई का दृश्य सामने आ गया

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  7. मैंने दो तीन दिन पहले यू ट्यूब पर एक वीडियो देखा धान रोपाई का। किस तरह पिंडलियों तक पानी में घंटों खड़े रहकर धान रोपाई करते हैं हमारे किसान मजदूर ! उनके पत्नी व बच्चे भी लगे रहते हैं साथ ! देखकर मन उनके प्रति श्रद्धा से भर गया।
    बिचड़ा पहली बार सुना। बहुत सुंदर गीत।

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    1. बीचड़ा बीज को कहते हैं। खेती-बारी के गीत लिखने में मेरी हिंसा आंचलिक हो गई। हार्दिक शुभकामनाएं

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  8. गाँव के परिवेश का सुंदर चित्रण , सुंदर अभिव्यक्ति !!

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  9. वाह बेहतरीन सृजन

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    1. जी सादर धन्यवाद।

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    2. अपलोड को जानकारी देनी है कि मैं एक साझा काव्य संग्रह मातृछाया का सम्पादन कर रही हूं जिसमें आपलोग कुछ भी सहभागिता अपेक्षित है। छः पेज दिए जाएंगे।एक परिचय के लिए। पांच रचनाओं के लिए मां मातृभूमि मातृत्व पर पांच रचनाएं देना है सहयोग राशि 500/- अधिक जानकारी हेतु मेरे व्हाट्स ऐप नम्बर 8051160102 पर सम्पर्क करें। सादर

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