Sunday, May 16, 2021

गर्मी आई



गर्मी आई, बड़ी सताई ‌।
लू की लपटें संग में लाई।
सूरज तपता आसमान।
धरती जलती तबा समान।

है बैसाख का गरम महीना।
तन से बहता खूब पसीना।
पंखा -कूलर मन को भाते‌‌।
सुबह-शाम सब खूब नहाते‌

फ्रीज का मत पानी पीओ।
घड़े का ठंडा पानी पीओ।
सत्तु और अमझोरा पीओ।
बेल पुदीने का शर्बत पीओ।

      सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
        स्वरचित, मौलिक

1 comment:

  1. गर्मी आई, बड़ी सताई ‌।
    लू की लपटूं संग में लाई।
    सूरज तपता आसमान।
    धरती जलती तबा समान।
    हल्की फुल्की सरल रचना सखी। सच में गर्मी आ चुकी है दलबल सहित। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको,,🙏💐💐❤️💐😃

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