गर्मी आई, बड़ी सताई ।
लू की लपटें संग में लाई।
सूरज तपता आसमान।
धरती जलती तबा समान।
है बैसाख का गरम महीना।
तन से बहता खूब पसीना।
पंखा -कूलर मन को भाते।
सुबह-शाम सब खूब नहाते
फ्रीज का मत पानी पीओ।
घड़े का ठंडा पानी पीओ।
सत्तु और अमझोरा पीओ।
बेल पुदीने का शर्बत पीओ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
गर्मी आई, बड़ी सताई ।
ReplyDeleteलू की लपटूं संग में लाई।
सूरज तपता आसमान।
धरती जलती तबा समान।
हल्की फुल्की सरल रचना सखी। सच में गर्मी आ चुकी है दलबल सहित। हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आपको,,🙏💐💐❤️💐😃