Friday, May 21, 2021

ग़ज़ल (तूम्हीं से प्यार है )



तुम न मानो पर तुम्हीं से प्यार है।
तुम पे ही जीवन मेरा न्योछार है।

तुम हमारे दिल में बसते हो सदा,
तेरे दिल में ही मेरा घर-बार है।

जब भी तुम संग में मेरे रहते सनम।
मुझको तो यह रंगीं लगे संसार है।

तुम हो जब नजरें उठाकर देखते,
लगता जहां का मिल गया प्यार है।

तुम रहो तो बात सब प्यारा लगे,
तुम से ही है शोभिता श्रृंगार है।

हम जहां में साथ ही जीते रहें,
साथ ही मरना हमें स्वीकार है।
        सुजाता प्रिय'समृद्धि'

6 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-05-2021 ) को 'मेरे घर उड़कर परिन्दे आ गये' (चर्चा अंक 4072 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. बहुत बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏🙏❤️ और हार्दिक आभार 🙏🙏🙏🙏❤️

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  3. बहुत सुंदर सृजन

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  4. सादर आभार सखी

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  5. हार्दिक आभार आदरणीया

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