कर रहे हैं भक्त पुकार,
सुन ले हे मातु भवानी।
रक्षा के लिए गुहार,
सुन ले हे मातु भवानी।
आकर जग की विपदा हर ले।
हम सबका तू संकट हर ले।
सारी दुनिया पड़ी बीमार,
सुन ले हे मातु भवानी।
तेरा ही अब इस है मैया।
हमारी नैया की तू खेबैया।
पकड़ ले आकर तू पतवार,
सुन ले हे मातु भवानी।
शरण तुम्हारे दास खड़े हैं।
उबारेगी ले आस खड़े हैं।
कर निज भक्तों से तू प्यार,
सुन ले से मातु भवानी।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित मौलिक
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (26 -5-21) को "प्यार से पुकार लो" (चर्चा अंक 4077) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत धन्यवाद आ०कामिनी जी। चर्चा अंक में मेरी रचना को शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteप्रार्थना अवश्य सुनी जाएगी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी!
Deleteअपनी भूलों की क्षमायाचना करते हुए माँ से यही प्रार्थना है, हम सब की !
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रार्थना लोकहितार्थ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद बहना!
Deleteबहुत सुंदर प्रार्थना, ईश्वरीय शक्ति ही इस संकट से उबार सकती है।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका
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