जय मां शारदे 🙏🙏
नमन मंच🙏🙏
साहित्य संगम संस्थान
झारखण्ड इकाई
दिन-गुरुवार
तुम मेरे सरताज हो और मैं तुम्हारी राज हूं।
तुम ही मेरी जिंदगी हो, मैं तेरी हमराज हूं।
सज रही महफ़िल यहां गायकी के वास्ते,
तुम मेरी संगीत बन जा, मैं तुम्हारी साज हूं।
हो रहा है गान अब, हम भी मिलकर गाएंगे,
तुम हमारी गीत बन जा, मैं तेरी आवाज़ हूं।
देखो अब सारे जहां में, प्यार का सम्राज्य है,
तुम यहां सम्राट बन जा, मैं तुम्हारी ताज हूं।
खुशनुमा लगता जहां हैं जब तुम्हारा साथ हो,
संग मेरे हर कल रहोगे,संग तुम्हारे आज हूं।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
रांची, झारखण्ड
स्वरचित, मौलिक
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