जीवन एक संघर्ष है,हंसकर गले लगाना है।
बाधाओं को ठेल कदम से, आगे बढ़ते जाना है।
करना है उत्थान अगर तो,करता चल संघर्ष।
आनेवाली चुनौतियों को स्वीकार करो सहर्ष।
मुश्किल से ना डरना है,मन में ना घबराना है।
जीवन एक संघर्ष है, हंसकर गले लगाना है।
हमको आगे बढ़ना है, और करना है उत्कर्ष।
मंजिल तक पहुंचना है,अब लेकर मन में हर्ष।
टेढ़ी-अनगढ राहों को,सरल-सुगम बनाना है।
जीवन एक संघर्ष है हंसकर गले लगाना है।
ऊपर चोटी पर चढ़ने की, स्वयं बनाएंगे सीढ़ी।
उच्चाई पर चढ़ना सीखें, देख हमें अगली पीढ़ी।
बुलंदियों पर चढ़कर,जीवन सफल बनाना है।
जीवन एक संघर्ष है,हंसकर गले लगाना है।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
रांची, झारखंड
स्वरचित, मौलिक
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 03 फरवरी को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी सादर धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर!!!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद भाई।
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