🌹🌹सरस्वती वंदना🌹🌹
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
तेरी वीणा की झंकार,
माता गूंज
रही।
कर झंकृत मन के तार,
माता गूंज
रही।
शुभ्र वसना मां वागीश्वरी,
गले में स्फाटिक हार,
माता गूंज
रही।
छेड़ रही तू राग मनोहर,
पुलकित है संसार,
माता गूंज
रही।
हाथ में तेरे पुस्तक शोभे,
ज्ञान का है भंडार,
माता गूंज
रही।
तेरी ममता बड़ी निराली,
महिमा अपरम्पार,
माता गूंज
रही।
तेरी शरण में आई हूं मां,
दे दो अपना प्यार,
माता गूंज
रही।
भक्ति भाव सेभजन करूं मैं,
हृदय से करूं पुकार,
माता गूंज
रही।
मंदिर-मंदिर गूंज रही मां,
भक्तों की जयकार,
माता गूंज
रही।
दिशा-दिशा वासंती छाई,
भौरों की गुंजार,
माता गूंज
रही।
विद्या का वरदान दो मां अम्बे,
गुण का कर संचार,
माता गूंज
रही।
नमन हमारा हंसवाहिनी,
कर लो तू स्वीकार,
माता गूंज
रही।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment