Wednesday, February 17, 2021

हम फूल एक फुलवारी के

हम फूल एक फुलवारी के

हम  फूल एक फुलवारी के,
   हिल-मिल आपस में रहते हैं।
      सर्दी-गर्मी और वर्षा-पतझड़,
         सब कुछ मिलकर सहते हैं।

रंग-विरंगा है रूप हमारा,
    हम एक-दूजे को भाते हैं।
     अलगआकार-प्रकार हमारा,
          हम सबका साथ निभाते  हैं।

ऊंच-नीच का भेद न हममें,
    बड़ा -छोटा का भान नहीं है।
       सुंदरता की खान सभी हैं,
            पर मन में गुमान नहीं है।

आपस में हम कभी न लड़ते,
   सब पर रखते कोमल भाव।
      कभी किसी को कष्ट न देते,
          नहीं किसी पर आता ताव।

फूलों का परिवार हमारा,
     जग भर में खुशहाल है।
       किसी से  कोई द्वेष नहीं है,
            किसी से  नहीं मलाल है ‌।

               सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
                      स्वरचित, मौलिक

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2043...अपने पड़ोसी से हमारी दूरी असहज लगती है... ) पर गुरुवार 18 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सादर आभार भाई!

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी!

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  4. सुंदर कोमल भाव ।
    सुंदर सृजन।

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