हम फूल एक फुलवारी के
हम फूल एक फुलवारी के,
हिल-मिल आपस में रहते हैं।
सर्दी-गर्मी और वर्षा-पतझड़,
सब कुछ मिलकर सहते हैं।
रंग-विरंगा है रूप हमारा,
हम एक-दूजे को भाते हैं।
अलगआकार-प्रकार हमारा,
हम सबका साथ निभाते हैं।
ऊंच-नीच का भेद न हममें,
बड़ा -छोटा का भान नहीं है।
सुंदरता की खान सभी हैं,
पर मन में गुमान नहीं है।
आपस में हम कभी न लड़ते,
सब पर रखते कोमल भाव।
कभी किसी को कष्ट न देते,
नहीं किसी पर आता ताव।
फूलों का परिवार हमारा,
जग भर में खुशहाल है।
किसी से कोई द्वेष नहीं है,
किसी से नहीं मलाल है ।
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
स्वरचित, मौलिक
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" ( 2043...अपने पड़ोसी से हमारी दूरी असहज लगती है... ) पर गुरुवार 18 फ़रवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसादर आभार भाई!
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी!
Deleteसुंदर कोमल भाव ।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
सादर धन्यवाद सखी
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