Thursday, February 11, 2021

उड़िया ना छंद

शरद ऋतु बीता, वसंत ऋतु आया।
बागों की क्यारी में,फूल मुस्काया।।
मंजरियों से सज गयी,पेड़ों की डाली।
कूक रही कोकिल ,हुई  मतवाली।।

उड़ने लगी रंग-बिरंगी , तितलियां।
आज सुवासित है,गांव की गलियां।।
आओ सभी मिल,खुशियां मनाएं।
प्रेम ऋतु आया है, प्रेम धुन गाएं।।

         सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
           स्वरचित, मौलिक

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