मटकी से छीके लटकी से।
कान्हा माखन न .....
कह दूंगी यशोदा मैया से जाकर,
तू तो बडा है माखन चोर।
छीके से उतारकर माखन ,
खाया मेरी मटकी फोड़।
दधी खाया तूने छोटी लुटकी से।
कान्हा माखन न ..........
तूमने भी खाया बलराम को खिलाया,
बाल सखा संग राधा को खिलाया,
किया तुमने लड़ाई मेरी छुटकी से।
कान्हा माखन न...........
ताली बजाकर बाल सखा संग,
हमें चिढ़ाकर गाया गीत।
कहा-तूमने मुझको है हराया,
तेरे साथियों की हो गई जीत।
तूने ताल मिलाया दे दे चुटकी से।
कान्हा माखन न .............
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
वाह! सखी ,बहुत खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteसुंदर
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