Sunday, August 17, 2025

महाबली हनुमान (हरि गीतिका छंद )

महाबली हनुमान का नित ध्यान सब मिल कीजिए।
उनके चरण में शीश रख आशीष भी कुछ लीजिए।।
निज भक्त के संताप को फल में मिटाते हैं प्रभु ।
दुख- वेदना हरकर हृदय में सुख-चैन लाते हैं प्रभु ।।
माँ अंजनी के पुत्र हैं बल बुद्धि -ज्ञान अपार है।
पवन पिता सम हैं बली,महिमा अपरंपार है ।
शरण इनके जो भी जाता,हर लेते उसकी कुमति।
ज्ञान-बुद्धि-विवेक देते ,भर देते उनमें सुमति।
 श्री राम के दरवार में हैं दूत बनकर बिराजते।
                                              राज्य।।

निज कीर्ति से दर वारियों के मन कर सोहर ।
श्रीराम की सेवा करते सब लोग के मन मोहते
                     सुजाता प्रिय 'समृद्धि'

No comments:

Post a Comment