उनके चरण में शीश रख आशीष भी कुछ लीजिए।।
निज भक्त के संताप को फल में मिटाते हैं प्रभु ।
दुख- वेदना हरकर हृदय में सुख-चैन लाते हैं प्रभु ।।
माँ अंजनी के पुत्र हैं बल बुद्धि -ज्ञान अपार है।
पवन पिता सम हैं बली,महिमा अपरंपार है ।
शरण इनके जो भी जाता,हर लेते उसकी कुमति।
ज्ञान-बुद्धि-विवेक देते ,भर देते उनमें सुमति।
श्री राम के दरवार में हैं दूत बनकर बिराजते।
राज्य।।
निज कीर्ति से दर वारियों के मन कर सोहर ।
श्रीराम की सेवा करते सब लोग के मन मोहते
सुजाता प्रिय 'समृद्धि'
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