Tuesday, August 19, 2025

घन

आसमान में घन है।
हरस रहा मन है।
जैसे मिलता धन है।
खन-खन खनकता।

छा रहा है अंधकार, 
गरजता बारम्बार, 
जैसे उद्देश्य पुकार, 
धम-धम धमकता।

दामिनी भी है संग  में,
आज बड़  उमंग में,
तङित सोने रंग में,
चम-चम  चमकता। 

खुश आज  वर्षा रानी।
बरसा रही है पानी,
बन आज  महारानी,
 छम-छम छमकता।

सुजाता प्रिय  समृद्धि

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