हरस रहा मन है।
जैसे मिलता धन है।
खन-खन खनकता।
छा रहा है अंधकार,
गरजता बारम्बार,
जैसे उद्देश्य पुकार,
धम-धम धमकता।
दामिनी भी है संग में,
आज बड़ उमंग में,
तङित सोने रंग में,
चम-चम चमकता।
खुश आज वर्षा रानी।
बरसा रही है पानी,
बन आज महारानी,
छम-छम छमकता।
सुजाता प्रिय समृद्धि
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